Exodus - निर्गमन 38 | View All

1. फिर उस ने बबूल की लकड़ी की होमबलि भी बनाई; उसकी लम्बाई पांच हाथ और चौड़ाई पांच हाथ की थी; इस प्रकार से वह चौकोर बनी, और ऊंचाई तीन हाथ की थी।

1. Then he made the altar of burnt offering of acacia wood, five cubits long, and five cubits wide, square, and three cubits high.

2. और उस ने उसके चारों कोनों पर उसके चार सींग बनाए, वे उसके साथ बिना जोड़ के बने; और उस ने उसको पीतल से मढ़ा।

2. He made its horns on its four corners, its horns being [of one piece] with it, and he overlaid it with bronze.

3. और उस ने वेदी का सारा सामान, अर्थात् उसकी हांड़ियों, फावड़ियों, कटोरों, कांटों, और करछों को बनाया। उसका सारा सामान उस ने पीतल का बनाया।

3. He made all the utensils of the altar, the pails and the shovels and the basins, the flesh hooks and the firepans; he made all its utensils of bronze.

4. और वेदी के लिये उसके चारों ओर की कंगनी के तले उस ने पीतल की जाली की एक झंझरी बनाई, वह नीचे से वेदी की ऊंचाई के मध्य तक पहुंची।

4. He made for the altar a grating of bronze network beneath, under its ledge, reaching halfway up.

5. और उस ने पीतल की झंझरी के चारों कोनों के लिये चार कड़े ढाले, जो डण्डों के खानों का काम दें।

5. He cast four rings on the four ends of the bronze grating [as] holders for the poles.

6. फिर उस ने डण्डों को बबूल की लकड़ी का बनाया, और पीतल से मढ़ा।

6. He made the poles of acacia wood and overlaid them with bronze.

7. तब उस ने डण्डों को वेदी की अलंगों के कड़ों में वेदी के उठाने के लिये डाल दिया। वेदी को उस ने तख्तों से खोखली बनाया।।

7. He inserted the poles into the rings on the sides of the altar, with which to carry it. He made it hollow with planks.

8. और उसे ने हौदी और उसका पाया दोनों पीतल के बनाए, यह मिलापवाले तम्बू के द्वार पर सेवा करनेवाली महिलाओं के दर्पणों के लिये पीतल के बनाए गए।।

8. Moreover, he made the laver of bronze with its base of bronze, from the mirrors of the serving women who served at the doorway of the tent of meeting.

9. फिर उस ने आंगन बनाया; और दक्खिन अलंग के लिये आंगन के पर्दे बटी हुई सूक्ष्म सनी के कपड़े के थे, और सब मिलाकर सौ हाथ लम्बे थे;

9. Then he made the court: for the south side the hangings of the court were of fine twisted linen, one hundred cubits;

10. उनके लिये बीस खम्भे, और इनकी पीतल की बीस कुर्सियां बनी; और खम्भों की घुंडियां और जोड़ने की छड़ें चांदी की बनीं।

10. their twenty pillars, and their twenty sockets, [made] of bronze; the hooks of the pillars and their bands [were] of silver.

11. और उत्तर अलग के लिये बीस खम्भे, और इनकी पीतल की बीस ही कुर्सियां बनीं, और खम्भों की घुंडियां और जोड़ने की छड़ें चांदी की बनी।

11. For the north side [there were] one hundred cubits; their twenty pillars and their twenty sockets [were] of bronze, the hooks of the pillars and their bands [were] of silver.

12. और पश्चिम अलंग के लिये सब पर्दे मिलाकर पचास हाथ के थे; उनके लिये दस खम्भे, और दस ही उनकी कुर्सियां थीं, और खम्भों की घंुडियां और जोड़ने की छड़ें चांदी की थीं।

12. For the west side [there were] hangings of fifty cubits [with] their ten pillars and their ten sockets; the hooks of the pillars and their bands [were] of silver.

13. और पूरब अलंग में भी वह पचास हाथ के थे।

13. For the east side fifty cubits.

14. आंगन के द्वार के एक ओर के लिये पंद्रह हाथ के पर्दे बने; और उनके लिये तीन खम्भे और तीन कुर्सियां थी।

14. The hangings for the [one] side [of the gate were] fifteen cubits, [with] their three pillars and their three sockets,

15. और आंगन के द्वार की दूसरी ओर भी वैसा ही बना था; और आंगन के दरवाज़े के इधर और उधर पंद्रह पंद्रह हाथ के पर्दे बने थे; और उनके लिये तीन हीे खम्भे, और तीन ही तीन इनकी कुर्सियां भी थीं।

15. and so for the other side. On both sides of the gate of the court [were] hangings of fifteen cubits, [with] their three pillars and their three sockets.

16. आंगन की चारों ओर सब पर्दे सूक्ष्म बटी हुई सनी के कपड़े के बने हुए थे।

16. All the hangings of the court all around [were] of fine twisted linen.

17. और खम्भों की कुर्सियां पीतल की, और घुंडियां और छड़े चांदी की बनी, और उनके सिरे चांदी से मढ़े गए, और आंगन के सब खम्भे चांदी के छड़ों से जोड़े गए थे।

17. The sockets for the pillars [were] of bronze, the hooks of the pillars and their bands, of silver; and the overlaying of their tops, of silver, and all the pillars of the court were furnished with silver bands.

18. आंगन के द्वार के पर्दे पर बेल बूटे का काम किया हुआ था, और वह नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े का; और सूक्ष्म बटी हुई सनी के कपड़े के बने थे; और उसकी लम्बाई बीस हाथ की थी, और उसकी ऊंचाई आंगन की कनात की चौड़ाई के सामान पांच हाथ की बनी।

18. The screen of the gate of the court was the work of the weaver, of blue and purple and scarlet [material] and fine twisted linen. And the length [was] twenty cubits and the height [was] five cubits, corresponding to the hangings of the court.

19. और उनके लिये चार खम्भे, और खम्भों की चार ही कुर्सियां पीतल की बनीं, उनकी घुंडियां चांदी की बनीं, और उनके सिरे चांदी से मढ़े गए, और उनकी छड़ें चांदी की बनीं।

19. Their four pillars and their four sockets [were] of bronze; their hooks [were] of silver, and the overlaying of their tops and their bands [were] of silver.

20. और निवास और आंगन की चारों ओर के सब खूंटे पीतल के बने थे।।

20. All the pegs of the tabernacle and of the court all around [were] of bronze.

21. साक्षीपत्रा के निवास का सामान जो लेवियों की सेवकाई के लिये बना; और जिसकी गिनती हारून याजक के पुत्रा ईतामार के द्वारा मूसा के कहने से हुई थी, उसका वर्णन यह है।
प्रकाशितवाक्य 15:5

21. This is the number of the things for the tabernacle, the tabernacle of the testimony, as they were numbered according to the command of Moses, for the service of the Levites, by the hand of Ithamar the son of Aaron the priest.

22. जिस जिस वस्तु के बनाने की आज्ञा यहोवा ने मूसा को दी थी उसको यहूदा के गोत्रावाले बसलेल ने, जो हूर का पोता और ऊरी का पुत्रा था, बना दिया।

22. Now Bezalel the son of Uri, the son of Hur, of the tribe of Judah, made all that the LORD had commanded Moses.

23. और उसके संग दान के गोत्रावाले, अहीसामाक के पुत्रा, ओहोलीआब था, जो खोदने और काढ़नेवाला और नीले, बैंजनी और लाल रंग के और सूक्ष्म सनी के कपड़े में कारचोब करनेवाला निपुण कारीगर था।।

23. With him [was] Oholiab the son of Ahisamach, of the tribe of Dan, an engraver and a skillful workman and a weaver in blue and in purple and in scarlet [material], and fine linen.

24. पवित्रास्थान के सारे काम में जो भेंट का सोना लगा वह उनतीस किक्कार, और पवित्रास्थान के शेकेल के हिसाब से सात सौ तीन शेकेल था।

24. All the gold that was used for the work, in all the work of the sanctuary, even the gold of the wave offering, was 29 talents and 730 shekels, according to the shekel of the sanctuary.

25. और मण्डली के गिने हुए लोगों की भेंट की चांदी सौ किक्कार, और पवित्रास्थान के शेकेल के हिसाब से सत्तरह सौ पचहत्तर शेकेल थी।

25. The silver of those of the congregation who were numbered was 100 talents and 1,775 shekels, according to the shekel of the sanctuary;

26. अर्थात् जितने बीस बरस के और उससे अधिक अवस्था के गिने गए थे, वे छ: लाख तीन हज़ार साढ़े पांच सौ पुरूष थे, और एक एक जन की ओर से पवित्रास्थान के शेकेल के अनुसार आधा शेकेल, जो एक बेका होता है मिला।
मत्ती 17:24

26. a beka a head ([that is], half a shekel according to the shekel of the sanctuary), for each one who passed over to those who were numbered, from twenty years old and upward, for 603,550 men.

27. और वह सौ किक्कार चांदी पवित्रास्थान और बीचवाले पर्दे दोनों की कुर्सियों के ढालने में लग गई; सौ किक्कार से सौ कुर्सियां बनीं, एक एक कुर्सी एक किक्कार की बनी।

27. The hundred talents of silver were for casting the sockets of the sanctuary and the sockets of the veil; one hundred sockets for the hundred talents, a talent for a socket.

28. और सत्तरह सौ पचहत्तर शेकेल जो बच गए उन से खम्भों की चोटियां मढ़ी गईं, और उनकी छड़ें भी बनाई गई।

28. Of the 1,775 [shekels], he made hooks for the pillars and overlaid their tops and made bands for them.

29. और भेंट का पीतल सत्तर किक्कार और दो हज़ार चार सौ शेकेल था;

29. The bronze of the wave offering was 70 talents and 2,400 shekels.

30. उससे मिलापवाले तम्बू के द्वार की कुर्सियां, और पीतल की वेदी, पीतल की झंझरी, और वेदी का सारा सामान;

30. With it he made the sockets to the doorway of the tent of meeting, and the bronze altar and its bronze grating, and all the utensils of the altar,

31. और आंगन के चारों ओर की कुर्सियां, और आंगन की चारों ओर के खूंटे भी बनाए गए।।

31. and the sockets of the court all around and the sockets of the gate of the court, and all the pegs of the tabernacle and all the pegs of the court all around.



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