1 Kings - 1 राजाओं 22 | View All

1. और तीन वर्ष तक अरामी और इस्राएली बिना युठ्ठ रहे।

1. পরে তিন বৎসর পর্য্যন্ত উভয় পক্ষ ক্ষান্ত রহিল; অরামের ও ইস্রায়েলের মধ্যে যুদ্ধ হইল না।

2. तीसरे वर्ष में यहूदा का राजा यहोशापात इस्राएल के राजा के पास गया।

2. তৃতীয় বৎসরে যিহূদা-রাজ যিহোশাফট ইস্রায়েলের রাজার নিকটে আসিলেন।

3. तब इस्राएल के राजा ने अपने कर्मचारियों से कहा, क्या तुम को मालूम है, कि गिलाद का रामोत हमारा है? फिर हम क्यों चुपचाप रहते और उसे अराम के राजा के हाथ से क्यों नहीं छीन लेते हैं?

3. আর ইস্রায়েলের রাজা আপন দাসদিগকে কহিলেন, রামোৎ-গিলিয়দ যে আমাদের, ইহা কি তোমরা জান না? কিন্তু আমরা অরামের রাজার হস্ত হইতে তাহা না লইয়া চুপ করিয়া আছি।

4. और उस ने यहोशापात से पूछा, क्या तू मेरे संग गिलाद के रामोत से लड़ने के लिये जाएगा? यहोशापात ने इस्राएल के राजा को उत्तर दिया, जैसा तू है वैसा मैं भी हूँ। जैसी तेरी प्रजा है वैसी ही मेरी भी प्रजा है, और जैसे तेरे घोड़े हैं वैसे ही मेरे भी घोड़े हैं।

4. আর তিনি যিহোশাফটকে কহিলেন, আপনি কি যুদ্ধার্থে রামোৎ-গিলিয়দে আমার সঙ্গে যাইবেন? যিহোশাফট ইস্রায়েলের রাজাকে কহিলেন, আমি ও আপনি, আমার লোক ও আপনার লোক, এবং আমার অশ্ব ও আপনার অশ্ব, সকলই এক।

5. फिर यहोशापात ने इस्राएल के राजा से कहा,

5. পরে যিহোশাফট ইস্রায়েলের রাজাকে কহিলেন, বিনয় করি, অদ্য সদাপ্রভুর বাক্যের অন্বেষণ করুন।

6. कि आज यहोवा की इच्छा मालूम कर ले, नब इस्राएल के राजा ने नबियों को जो कोई चार सौ पुरूष थे इकट्ठा करके उन से पूछा, क्या मैं गिलाद के रामोत से युठ्ठ करने के लिये चढ़ाई करूं, वा रूका रहूं? उन्हों ने उत्तर दिया, चढ़ाई कर : क्योंकि प्रभु उसको राजा के हाथ में कर देगा।

6. তাহাতে ইস্রায়েলের রাজা ভাববাদিগণকে, অনুমান চারি শত জনকে একত্র করিয়া জিজ্ঞাসা করিলেন, আমি রামোৎ-গিলিয়দের বিরুদ্ধে যুদ্ধযাত্রা করিব, না ক্ষান্ত হইব? তখন তাহারা কহিল, যাত্রা করুন; প্রভু তাহা মহারাজের হস্তে সমর্পণ করিবেন।

7. परन्तु यहोशापात ने पूछा, क्या यहां यहोवा का और भी कोई नबी नहीं है जिस से हम पूछ लें?

7. কিন্তু যিহোশাফট কহিলেন, আবার সদাপ্রভুর এমন কোন ভাববাদী কি এস্থানে নাই যে, আমরা তাঁহারই কাছে অন্বেষণ করিতে পারি?

8. इस्राएल के राजा ने यहोशापात से कहा, हां, यिम्ला का पुत्रा मीकायाह एक पुरूष और है जिसके द्वारा हम यहोेवा से पूछ सकते हैं? परन्तु मैं उस से घृणा रखता हूँ, क्योंकि वह मेरे विष्य कल्याण की नहीं वरन हानि ही की भविष्यद्वाणी करता है।

8. ইস্রায়েলের রাজা যিহোশাফটকে কহিলেন, আমরা যাহার দ্বারা সদাপ্রভুর কাছে অন্বেষণ করিতে পারি, এমন আর এক জন আছে, সে যিম্লের পুত্র মীখায়, কিন্তু আমি তাহাকে ঘৃণা করি, কেননা আমার উদ্দেশে সে মঙ্গলের নয়, কেবল অমঙ্গলের ভাবোক্তি প্রচার করে। যিহোশাফট কহিলেন, মহারাজ এমন কথা কহিবেন না।

9. यहोशापात ने कहा, राजा ऐसा न कहे। तब दस्राएल के राजा ने एक हाकिम को बुलवा कर कहा, यिम्ला के पुत्रा मीकायाह को फुत से ले आ।

9. তখন ইস্রায়েলের রাজা আপনার এক জন কর্ম্মচারীকে ডাকিয়া আজ্ঞা দিলেন, যিম্লের পুত্র মীখায়কে শীঘ্র লইয়া আইস।

10. इस्राएल का राजा और यहूदा का राजा यहोशापात, अपने अपने राजवस्त्रा पहिने हुए शोमरोन के फाटक में एक खुले स्थान में अपने अपने सिंहासन पर विराजमान थे और सब भविष्यद्वक्ता उनके सम्मुख भविष्यद्वाणी कर रहे थे।

10. সেই সময়ে ইস্রায়েলের রাজা ও যিহূদা-রাজ যিহোশাফট আপন আপন রাজবস্ত্র পরিধান করিয়া শমরিয়ার দ্বার-প্রবেশস্থানের কাছে খোলা জায়গায় আপন আপন সিংহাসনে বসিয়াছিলেন, এবং তাঁহাদের সম্মুখে ভাববাদীরা সকলে ভাবোক্তি প্রচার করিতেছিল।

11. तब कनाना के पुत्रा सिदकिरयाह ने लोहे के सींग बनाकर कहा, यहोवा यों कहता है, कि इन से तू अरामियों को मारते मारते नाश कर डालेगा।

11. আর কনানার পুত্র সিদিকিয় লৌহময় শৃঙ্গযুগল নির্ম্মাণ করিয়া কহিল, সদাপ্রভু এই কথা কহেন, ইহার দ্বারা আপনি অরামের বিনাশ সাধন পর্য্যন্ত গুঁতাইবেন।

12. और सब नबियों ने इसी आशय की भविष्यद्वाणी करके कहा, गिलाद के रामोत पर चढ़ाई कर और तू कृतार्थ हो; क्योंकि यहोवा उसे राजा के हाथ में कर देगा।

12. আর ভাববাদীরা সকলেই তদ্রূপ ভাবোক্তি প্রচার করিল, কহিল, আপনি রামোৎ-গিলিয়দে যাত্রা করুন, কৃতকার্য্য হউন; কেননা সদাপ্রভু তাহা মহারাজের হস্তে সমর্পণ করিবেন।

13. और जो दूत मीकायाह को बुलाने गया था उस ने उस से कहा, सुन, भविष्यद्वक्ता एक ही मुंह से राजा के विषय शुभ वचन कहते हैं तो तेरी बातें उनकी सी हों; तू भी शुभ वचन कहना।

13. আর যে দূত মীখায়কে ডাকিতে গিয়াছিল, সে তাঁহাকে কহিল, দেখুন, ভাববাদিগণের বাক্য সকল এক মুখে রাজার পক্ষে মঙ্গল সূচনা করে; বিনয় করি, আপনার বাক্য উহাদের কোন এক জনের বাক্যের সমানার্থক হউক; আপনি মঙ্গলসূচক কথা বলুন।

14. मीकायाह ने कहा, यहोवा के जीवन की शपथ जो कुछ यहोवा मुझ से कहे, वही मैं कहूंगा।

14. মীখায় কহিলেন, জীবন্ত সদাপ্রভুর দিব্য, সদাপ্রভু আমাকে যাহা বলেন, আমি তাহাই বলিব।

15. जब वह राजा के पास आया, तब राजा ने उस से पूछा, हे मीकायाह ! क्या हम गिलाद के रामोत से युठ्ठ करने के लिये चढ़ाई करें वा रूके रहें? उस ने उसको उत्तर दिया हां, चढ़ाई कर और तू कृतार्थ हो; और यहोवा उसको राजा के हाथ में कर दे।

15. পরে তিনি রাজার নিকটে আসিলে রাজা তাঁহাকে জিজ্ঞাসা করিলেন, মীখায়, আমরা রামোৎ-গিলিয়দে যুদ্ধ করিতে যাইব, না ক্ষান্ত হইব? তিনি তাঁহাকে কহিলেন, যাত্রা করুন, কৃতকার্য্য হউন; সদাপ্রভু তাহা মহারাজের হস্তে সমর্পণ করিবেন।

16. राजा ने उस से कहा, मुझे कितनी बार तुझे शपथ धराकर चिताना होगा, कि तू यहोवा का स्मरण करके मुझ से सच ही कह।

16. রাজা তাঁহাকে কহিলেন, তুমি সদাপ্রভুর নামে আমাকে সত্য ব্যতিরেকে আর কিছুই কহিবে না, আমি কত বার তোমাকে এই শপথ করাইব?

17. मीकायाह ने कहा मुझे समस्त इस्राएल बिना चरपाहे की भेड़बकरियों की नाई पहाड़ों पर; तित्तर बित्तर देख पड़ा, और यहोवा का यह वचन आया, कि वे तो अनाथ हैं; अतएव वे अपते अपने घर कुशल क्षेम से लौट जाएं।
मत्ती 9:36, मरकुस 6:34

17. তখন তিনি কহিলেন, আমি সমস্ত ইস্রায়েলকে অরক্ষক মেষপালের ন্যায় পর্ব্বতগণের উপরে ছিন্নভিন্ন দেখিলাম, এবং সদাপ্রভু কহিলেন, উহাদের স্বামী নাই; উহারা প্রত্যেকে কুশলে আপন আপন বাটীতে ফিরিয়া যাউক।

18. तब इस्राएल के राजा ने यहोशापात से कहा, क्या मैं ने तुझ से न कहा था, कि वह मेरे विषय कल्याण की नहीं हानि ही की भविष्यद्वाणी करेगा।

18. তখন ইস্রায়েলের রাজা যিহোশাফটকে কহিলেন, আমি কি অগ্রেই আপনাকে বলি নাই যে, এই ব্যক্তি আমার উদ্দেশে মঙ্গলের নয়, কেবল অমঙ্গলের ভাবোক্তি প্রচার করে?

19. मीकायाह ने कहा इस कारण तू यहोवा का यह वचन सुन ! मुझे सिंहासन पर विराजमान यहोवा और उसके पास दाहिने बांयें खड़ी इई स्वर्ग की समस्त सेना दिखाई दी है।
प्रकाशितवाक्य 4:2, प्रकाशितवाक्य 4:9-10, प्रकाशितवाक्य 5:1-7-13, प्रकाशितवाक्य 6:16, प्रकाशितवाक्य 7:10, प्रकाशितवाक्य 7:15, प्रकाशितवाक्य 19:4, प्रकाशितवाक्य 21:5

19. আর মীখায় কহিলেন, এজন্য আপনি সদাপ্রভুর বাক্য শুনুন; আমি দেখিলাম, সদাপ্রভু তাঁহার সিংহাসনে উপবিষ্ট, আর তাঁহার দক্ষিণে ও বামে তাঁহার নিকটে স্বর্গের সমস্ত বাহিনী দণ্ডায়মান।

20. तब यहोवा ने पूछा, अहाब को कौन ऐसा बहकाएगा, कि वह गिलाद के रामो पर चढ़ाई करके खेत आए तब किसी ते कुछ, और किसी ने कुछ कहा।

20. পরে সদাপ্রভু কহিলেন, আহাব যেন যাত্রা করিয়া রামোৎ-গিলিয়দে পতিত হয়, এই জন্য কে তাহাকে মুগ্ধ করিবে? তাহাতে কেহ এক প্রকারে, কেহ বা অন্য প্রকারে কহিল।

21. निदान एक आत्मा पास आकर यहोव के सम्मुख खड़ी हुई, और कहने लगी, मैं उसको वहकाऊंगी : यहोवा ने पूछा, किस उपाय से?

21. শেষে এক আত্মা গিয়া সদাপ্রভুর সম্মুখে দাঁড়াইয়া কহিল, আমি তাহাকে মুগ্ধ করিব। সদাপ্রভু কহিলেন, কিসে?

22. उस ने कहा, मैं जाकर उसके सब भविष्यद्वक्ताओं में पैठकर उन से झूठ बुलवाऊंगी। यहोवा ने कहा, तेरा उसको बहकाना सुफल होगा, जाकर ऐसा ही कर।

22. সে কহিল, আমি গিয়া তাহার সমস্ত ভাববাদীর মুখে মিথ্যাবাদী আত্মা হইব। তখন তিনি কহিলেন, তুমি তাহাকে মুগ্ধ করিবে, কৃতকার্য্যও হইবে; যাও, সেইরূপ কর।

23. तो अब सुन यहोवा ने तेरे इन सब भविष्यद्वक्ताओं के मुंह में एक झूठ बोलनेवाली आत्मा पैठाई है, और यहोवा ने तेरे विष्य हानि की बात कही है।

23. অতএব দেখুন, সদাপ্রভু আপনার এই সমস্ত ভাববাদীর মুখে মিথ্যাবাদী আত্মা দিয়াছেন; আর সদাপ্রভু আপনার বিষয়ে অমঙ্গলের কথা কহিয়াছেন।

24. तब कनाना के पुत्रा सिदकिज्याह ने मीकायाह के निकट जा, उसके गाल पर थपेड़ा मार कर पूछा, यहोवा का आन्मा मुझे छोड़कर तूझ से बातें करने को किधर गया?

24. তখন কনানার পুত্র সিদিকিয় নিকটে আসিয়া মীখায়ের গালে চড় মারিয়া কহিল, সদাপ্রভুর আত্মা তোর সঙ্গে কথা কহিবার জন্য আমার নিকট হইতে কোন্‌ পথে গিয়াছিলেন?

25. मीकायाह ने कहा, जिस दिन तू छिपने के लिये कोठरी से कोठरी में भगेगा, तब तूझे बोधा होगा।

25. মীখায় কহিলেন, দেখ, যে দিন তুমি লুকাইবার জন্য এক ভিতরের কুঠরীতে যাইবে, সেই দিন তাহা জানিবে।

26. तब इस्राएल के राजा ने कहा, मीकायाह को नगर के हाकिम आमोन और योआश राजकुमार के पास ले जा;
इब्रानियों 11:36

26. পরে ইস্রায়েলের রাজা বলিলেন, মীখায়কে ধরিয়া পুনরায় নগরাধ্যক্ষ আমোনের ও রাজপুত্র যোয়াশের নিকটে লইয়া যাও;

27. और उन से कह, राजा यों कहता है, कि इसको बन्दीगृह में डालो, और जब तक मैं कुशल से न आऊं, तब तक इसे दु:ख की रोटी और पानी दिया करो।
इब्रानियों 11:36

27. আর বল, রাজা এই কথা কহেন, ইহাকে কারাগারে বদ্ধ করিয়া রাখ, এবং যে পর্য্যন্ত আমি কুশলে ফিরিয়া না আসি, সে পর্য্যন্ত ইহাকে আহারার্থে কষ্টযুক্ত অন্ন ও কষ্টযুক্ত জল দেও।

28. और मीकायाह ने कहा, यदि तू कभी कुशल से लौटे, तो जान कि यहोवा ने मेरे द्वारा नहीं कहा। फिर उस ने कहा, हे लोगो तुम सब के सब सुन लो।

28. মীখায় কহিলেন, যদি আপনি কোন মতে কুশলে ফিরিয়া আইসেন, তবে সদাপ্রভু আমার দ্বারা কথা কহেন নাই। আর তিনি কহিলেন, হে জাতিগণ, তোমরা সকলে শ্রবণ কর।

29. तब इस्राएल के राजा और यहूदा के राजा यहोशापात दोनों ने गिलाद के रामोत पर चढ़ाई की।

29. পরে ইস্রায়েলের রাজা ও যিহূদা-রাজ যিহোশাফট রামোৎ-গিলিয়দে যাত্রা করিলেন।

30. और इस्राएल के राजा ने यहोशापात से कहा, मैं तो भेष बदलकर युठ्ठ क्षेत्रा में जाऊंगा, परन्तु तू अपने ही वस्त्रा पहिने रहना। तब इस्राएल का राजा भेष बदलकर युठ्ठ क्षेत्रा में गया।

30. আর ইস্রায়েলের রাজা যিহোশাফটকে কহিলেন, আমি অন্য বেশ ধারণ করিয়া যুদ্ধে প্রবেশ করিব, আপনি রাজবস্ত্র পরিধান করুন। পরে ইস্রায়েলের রাজা অন্য বেশ করিয়া যুদ্ধে প্রবেশ করিলেন।

31. और अराम के राजा ने तो अपने रथों के बत्तीसों प्रधानों को आज्ञा दी थी, कि न तो छोटे से लड़ो और न बड़े से, केवल इस्राएल के राजा से यूठ्ठ करो।

31. অরামের রাজা আপন রথাধ্যক্ষ বত্রিশ জন সেনাপতিকে এই আজ্ঞা দিয়াছিলেন, তোমরা কেবল ইস্রায়েলের রাজা ব্যতিরেকে ক্ষুদ্র কি মহান্‌ আর কাহারও সহিত যুদ্ধ করিও না।

32. तो जब रथों के प्रधानों ने यहोशापात को देखा, तब कहा, निश्चय इस्राएल का राजा वही है। और वे उसी से युठ्ठ करने को मुड़े; तब यहोशपात चिल्ला उठा।

32. পরে রথাধ্যক্ষগণ যিহোশাফটকে দেখিয়া, উনিই অবশ্য ইস্রায়েলের রাজা, এই বলিয়া তাঁহার সহিত যুদ্ধ করিবার জন্য এক পার্শ্বে গেলেন। তখন যিহোশাফট চেঁচাইয়া উঠিলেন।

33. यह देखाकर कि वह इस्राएल का राजा नहीं है, रथों के प्रधान उसका पीछा छोड़कर लौट गए।

33. আর রথাধ্যক্ষগণ যখন দেখিলেন, ইনি ইস্রায়েলের রাজা নহেন, তখন তাঁহার পশ্চাদগমন হইতে ফিরিয়া গেলেন।

34. तब किसी ने अटकल से एक तीर चलाया और वह इस्राएल के राजा के झिलम और निचले वस्त्रा के बीच छेदकर लगा; तब उसने अपने सारथी से कहा, मैं घायल हो गया हूँ इसलिये बागडोर फेर कर मुझे सेना में से बाहर निकाल ले चल।

34. কিন্তু একটা লোক লক্ষ্য ব্যতিরেকে ধনুক আকর্ষণ করিয়া ইস্রায়েলের রাজার উদর-ত্রাণের ও বুকপাটার সন্ধিস্থানে বাণাঘাত করিল; তাহাতে তিনি আপন সারথিকে কহিলেন, হস্ত ফিরাইয়া সৈন্যদলের মধ্য হইতে আমাকে লইয়া যাও, আমি দারুন আঘাত পাইয়াছি।

35. और उस दिन युठ्ठ बढ़त़ा गया और राजा अपने रथ में औरों के सहारे अरामियों के सम्मुख खड़ा रहा, और सांझ को मर गया; और उसके घाव का लोहू बहकर रथ के पौदान में भर गया।

35. সেই দিবস তুমুল যুদ্ধ হইল, আর লোকেরা অরামীয়দের সম্মুখে রাজাকে রথে দণ্ডায়মান রাখিল; কিন্তু সায়ংকালে তিনি মরিয়া গেলেন, এবং তাঁহার ক্ষতের রক্ত রথের গর্ভে পড়িল।

36. सूर्य डूबते हुए सेना में यह पुकार हुई, कि हर एक अपने नगर और अपने देश को लौट जाए।

36. পরে সূর্য্যাস্তকালে সৈন্যদলের মধ্যে সর্ব্বত্র এই রব হইল, প্রত্যেক জন আপন আপন নগরে, প্রত্যেক জন আপন আপন দেশে চলিয়া যাউক।

37. जब राजा मर गया, तब शोमरोन को पहुंचाया गया और शोमरोन में उसे मिट्टी दी गई।

37. এইরূপে রাজা মরিয়া গেলেন ও শমরিয়াতে আনীত হইলেন, আর লোকেরা শমরিয়াতে রাজাকে কবর দিল।

38. और यहोवा के वचन के अनुसार जब उसका रथ शोमरोन के पोखरे में धोया गया, तब कुत्तों ने उसका लोहू चाट लिया, और वेश्याएं यहीं स्नान करती थीं।

38. পরে শমরিয়ার পুষ্করিণীর ধারে তাঁহার রথ ধৌত করিলে সদাপ্রভুর কথিত বাক্যানুসারে কুকুরেরা তাঁহার রক্ত চাটিয়া খাইল; বেশ্যারা তথায় স্নান করিত।

39. अहाब के और सब काम जो उस ने किए, और हाथीदांत का जो भवन उस ने बनाया, और जो जो नगर उस ने बसाए थे, यह सब क्या इस्राएली राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखा है?

39. আহাবের অবশিষ্ট বৃত্তান্ত ও সমস্ত কর্ম্মের বিবরণ এবং তিনি যে হস্তিদন্তময় গৃহ নির্ম্মাণ করিয়াছিলেন, আর যে সমস্ত নগর নির্ম্মাণ করিলেন, সে সকলের কথা কি ইস্রায়েল রাজগণের ইতিহাস-পুস্তকে লিখিত নাই?

40. निदान अहाब अपने पुरखाओं के संग सो गया और उसका पुत्रा अहज्याह उसके स्थान पर राज्य करने लगा।

40. এইরূপে আহাব আপন পিতৃলোকদের সহিত নিদ্রাগত হইলেন; আর তাঁহার পুত্র অহসিয় তাঁহার পদে রাজা হইলেন।

41. इस्राएल के राजा अहाब के चौथे वर्ष में आसा का पुत्रा यहोशापात यहूदा पर राज्य करने लगा।

41. ইস্রায়েল-রাজ আহাবের চতুর্থ বৎসরে আসার পুত্র যিহোশাফট যিহূদায় রাজত্ব করিতে আরম্ভ করেন।

42. जब यहोशापात राज्य करने लगा, तब वह पैंतीस वर्ष का था। और पचीस पर्ष तक यरूशलेम में राज्य करता रहा। और उसकी माता का नाम अजूबा था, जो शिल्ही की बेटी थी।

42. যিহোশাফট পঁয়ত্রিশ বৎসর বয়সে রাজত্ব করিতে আরম্ভ করিয়া যিরূশালেমে পঁচিশ বৎসর কাল রাজত্ব করেন; তাঁহার মাতার নাম অসূবা, তিনি শিল্‌হির কন্যা।

43. और उसकी चाल सब प्रकार से उसके पिता आसा की सी थी, अर्थात जो यहोवा की दृष्टि में ठीक है वही वह करता रहा, और उस से कुछ न मुड़ा। तौभी ऊंचे स्थान ढाए न गए, प्रजा के लोग ऊंचे स्थानों पर उस समय भी बलि किया करते थे और धूप भी जलाया करते थे।

43. যিহোশাফট আপন পিতা আসার সমস্ত পথে চলিতেন, সেই পথ হইতে না ফিরিয়া সদাপ্রভুর দৃষ্টিতে যাহা ন্যায্য, তাহাই করিতেন; কিন্তু উচ্চস্থলী সকল উচ্ছিন্ন হয় নাই, লোকেরা তখনও উচ্চস্থলীতে বলিদান করিত ও ধূপ জ্বালাইত।

44. यहोशापात ने इस्राएल के राजा से मेल किया।

44. আর যিহোশাফট ইস্রায়েলের রাজার সহিত সন্ধি স্থাপন করেন।

45. और यहोशापात के काम और जो वीरता उस ने दिखाई, और उस ने जो जो लड़ाइयां कीं, यह सब क्या यहूदा के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखा है?

45. যিহোশাফটের অবশিষ্ট বৃত্তান্ত, এবং তিনি যে যে বিক্রমের কার্য্য করিলেন, ও যে সকল যুদ্ধ করিলেন, সে সকল কি যিহূদা-রাজগণের ইতিহাস-পুস্তকে লিখিত নাই?

46. पुरूषगामियों में से जो उसके पिता आसा के दिनों में रह गए थे, उनको उस ने देश में से नाश किया।

46. তাঁহার পিতা আসার সময়ে যে পুংগামীরা অবশিষ্ট ছিল, তাহাদিগকে তিনি দেশ হইতে দূর করিয়া দিলেন।

47. उस समय एदाम में कोई राजा न था; एक नायब राजकाज का काम करता था।

47. সেই সময়ে ইদোমে রাজা ছিল না, এক জন প্রতিনিধি রাজত্ব করিতেন।

48. फिर यहोशापात ने तश श के जहाज सोना लाने के लिये ओपीर जाने को बनवा लिए, परन्तु वे एश्योनगेबेर में टूट गए, असलिये वहां न जा सके।

48. যিহোশাফট স্বর্ণের জন্য ওফীরে প্রেরণার্থে তর্শীশের কয়েকখানি জাহাজ নির্ম্মাণ করিলেন, কিন্তু সেগুলি গেল না, কেননা সেই জাহাজগুলি ইৎসিয়োন-গেবরে ভগ্ন হইল।

49. तब अहाब के पुत्रा अहज्याह ने यहोशापात से कहा, मेरे जहाजियों को अपने जहाजियों के संग, जहाजों में जाने दे, परन्तु यहोशापात ने इनकार किया।

49. তখন আহাবের পুত্র অহসিয় যিহোশাফটকে কহিলেন, আপনার দাসদের সহিত আমার দাসেরা জাহাজে যাউক; কিন্তু যিহোশাফট সম্মত হইলেন না।

50. निदान यहोशापात अपने पुरखाओं के संग सो गया और उसको उसके पुरखाओं के साथ उसके मूलपुरूष दाऊद के नबर में मिट्टी दी गई। और उसका पुत्रा यहोराम उसके स्थान पर राज्य करने लगा।

50. পরে যিহোশাফট আপন পিতৃলোকদের সহিত নিদ্রাগত হইলেন; এবং আপন পিতৃপুরুষ দায়ূদের নগরে পিতৃলোকদের সহিত কবরপ্রাপ্ত হইলেন; আর তাঁহার পুত্র যিহোরাম তাঁহার পদে রাজা হইলেন।

51. यहूदा के राजा यहोशापत के सत्राहवें वर्ष में अहाब का पुत्रा अहज्याह शोमरोन में इस्राएल पर राज्य करने लगा और दो वर्ष तक इस्राएल पर राज्य करता रहा।

51. যিহূদা-রাজ যিহোশাফটের সতের বৎসরে আহাবের পুত্র অহসিয় শমরিয়াতে ইস্রায়েলের উপরে রাজত্ব করিতে আরম্ভ করেন, এবং তিনি দুই বৎসর ইস্রায়েলের উপরে রাজত্ব করেন।

52. और उस ने वह किया, जो यहोवा की दृष्टि में बुरा था। और उसकी चाज उसके माता पिता, और नबात के पुत्रा यारोबाम की सी थी जिस ने इस्राएल से पाप करवाया था।

52. সদাপ্রভুর দৃষ্টিতে যাহা মন্দ, তাহাই তিনি করিতেন, আপন পিতার পথে ও আপন মাতার পথে, এবং নবাটের পুত্র যে যারবিয়াম ইস্রায়েলকে পাপ করাইয়াছিলেন, তাঁহার পথে চলিতেন।

53. जैसे उसका पिता बाल की उपासने और उसे दणडवत करने से इस्राएल के परमेश्वर यहोवा को क्रोधित करता रहा वैसे ही अहज्याह भी करता रहा।

53. তিনি বালের সেবা করিতেন, তাহার কাছে প্রণিপাত করিতেন, এবং ইস্রায়েলের ঈশ্বর সদাপ্রভুকে অসন্তুষ্ট করিতেন, তাঁহার পিতা যাহা যাহা করিতেন, তিনিও তাহাই করিতেন।



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