Genesis - उत्पत्ति 2 | View All

1. यों आकाश और पृथ्वी और उनकी सारी सेना का बनाना समाप्त हो गया।

1. So the creation of the heavens and the earth and everything in them was completed.

2. और परमेश्वर ने अपना काम जिसे वह करता था सातवें दिन समाप्त किया। और उस ने अपने किए हुए सारे काम से सातवें दिन विश्राम किया।
इब्रानियों 4:4-10

2. On the seventh day God had finished his work of creation, so he rested from all his work.

3. और परमेश्वर ने सातवें दिन को आशीष दी और पवित्रा ठहराया; क्योंकि उस में उस ने अपनी सृष्टि की रचना के सारे काम से विश्राम लिया।
मत्ती 12:8

3. And God blessed the seventh day and declared it holy, because it was the day when he rested from all his work of creation.

4. आकाश और पृथ्वी की उत्पत्ति का वृत्तान्त यह है कि जब वे उत्पन्न हुए अर्थात् जिस दिन यहोवा परमेश्वर ने पृथ्वी और आकाश को बनाया:

4. This is the account of the creation of the heavens and the earth. When the LORD God made the earth and the heavens,

5. तब मैदान का कोई पौधा भूमि पर न था, और न मैदान का कोई छोटा पेड़ उगा था, क्योंकि यहोवा परमेश्वर ने पृथ्वी पर जल नहीं बरसाया था, और भूमि पर खेती करने के लिये मनुष्य भी नहीं था;

5. neither wild plants nor grains were growing on the earth. The LORD God had not yet sent rain to water the earth, and there were no people to cultivate the soil.

6. तौभी कुहरा पृथ्वी से उठता था जिस से सारी भूमि सिंच जाती थी

6. Instead, springs came up from the ground and watered all the land.

7. और यहोवा परमेश्वर ने आदम को भूमि की मिट्टी से रचा और उसके नथनो में जीवन का श्वास फूंक दिया; और आदम जीवता प्राणी बन गया।
1 कुरिन्थियों 15:45-47, 1 तीमुथियुस 2:13

7. Then the LORD God formed the man from the dust of the ground. He breathed the breath of life into the man's nostrils, and the man became a living person.

8. और यहोवा परमेश्वर ने पूर्व की ओर अदन देश में एक बाटिका लगाई; और वहां आदम को जिसे उस ने रचा था, रख दिया।
प्रकाशितवाक्य 2:7

8. Then the LORD God planted a garden in Eden in the east, and there he placed the man he had made.

9. और यहोवा परमेश्वर ने भूमि से सब भांति के वृक्ष, जो देखने में मनोहर और जिनके फल खाने में अच्छे हैं उगाए, और बाटिका के बीच में जीवन के वृक्ष को और भले या बुरे के ज्ञान के वृक्ष को भी लगाया।
प्रकाशितवाक्य 2:7, प्रकाशितवाक्य 22:14-19, प्रकाशितवाक्य 22:2

9. The LORD God made all sorts of trees grow up from the ground-- trees that were beautiful and that produced delicious fruit. In the middle of the garden he placed the tree of life and the tree of the knowledge of good and evil.

10. और उस बाटिका को सींचने के लिये एक महानदी अदन से निकली और वहां से आगे बहकर चार धारा में हो गई।

10. A river watered the garden and then flowed out of Eden and divided into four branches.

11. पहिली धारा का नाम पीशोन् है, यह वही है जो हवीला नाम के सारे देश को जहां सोना मिलता है घेरे हुए है।

11. The first branch, called the Pishon, flowed around the entire land of Havilah, where gold is found.

12. उस देश का सोना चोखा होता है, वहां मोती और सुलैमानी पत्थर भी मिलते हैं।

12. The gold of that land is exceptionally pure; aromatic resin and onyx stone are also found there.

13. और दूसरी नदी का नाम गीहोन् है, यह वही है जो कूश के सारे देश को घेरे हुए है।

13. The second branch, called the Gihon, flowed around the entire land of Cush.

14. और तीसरी नदी का नाम हि :केल् है, यह वही है जो अश्शूर् के पूर्व की ओर बहती है। और चौथी नदी का नाम फरात है।

14. The third branch, called the Tigris, flowed east of the land of Asshur. The fourth branch is called the Euphrates.

15. जब यहोवा परमेश्वर ने आदम को लेकर अदन की बाटिका में रख दिया, कि वह उस में काम करे और उसकी रक्षा करे,

15. The LORD God placed the man in the Garden of Eden to tend and watch over it.

16. तब यहोवा परमेश्वर ने आदम को यह आज्ञा दी, कि तू बाटिका के सब वृक्षों का फल बिना खटके खा सकता है:

16. But the LORD God warned him, 'You may freely eat the fruit of every tree in the garden

17. पर भले या बुरे के ज्ञान का जो वृक्ष है, उसका फल तू कभी न खाना : क्योंकि जिस दिन तू उसका फल खाए उसी दिन अवश्य मर जाएगा।।
रोमियों 5:12

17. -- except the tree of the knowledge of good and evil. If you eat its fruit, you are sure to die.'

18. फिर यहोवा परमेश्वर ने कहा, आदम का अकेला रहना अच्छा नहीं; मै उसके लिये एक ऐसा सहायक बनाऊंगा जो उस से मेल खाए।
1 कुरिन्थियों 11:9

18. Then the LORD God said, 'It is not good for the man to be alone. I will make a helper who is just right for him.'

19. और यहोवा परमेश्वर भूमि में से सब जाति के बनैले पशुओं, और आकाश के सब भँाति के पक्षियों को रचकर आदम के पास ले आया कि देखे, कि वह उनका क्या क्या नाम रखता है; और जिस जिस जीवित प्राणी का जो जो नाम आदम ने रखा वही उसका नाम हो गया।

19. So the LORD God formed from the ground all the wild animals and all the birds of the sky. He brought them to the man to see what he would call them, and the man chose a name for each one.

20. सो आदम ने सब जाति के घरेलू पशुओं, और आकाश के पक्षियों, और सब जाति के बनैले पशुओं के नाम रखे; परन्तु आदम के लिये कोई ऐसा सहायक न मिला जो उस से मेल खा सके।

20. He gave names to all the livestock, all the birds of the sky, and all the wild animals. But still there was no helper just right for him.

21. तब यहोवा परमेश्वर ने आदम को भारी नीन्द में डाल दिया, और जब वह सो गया तब उस ने उसकी एक पसुली निकालकर उसकी सन्ती मांस भर दिया।
1 कुरिन्थियों 11:8

21. So the LORD God caused the man to fall into a deep sleep. While the man slept, the LORD God took out one of the man's ribs and closed up the opening.

22. और यहोवा परमेश्वर ने उस पसुली को जो उस ने आदम में से निकाली थी, स्त्री बना दिया; और उसको आदम के पास ले आया।
1 तीमुथियुस 2:13

22. Then the LORD God made a woman from the rib, and he brought her to the man.

23. और आदम ने कहा अब यह मेरी हडि्डयों में की हड्डी और मेरे मांस में का मांस है : सो इसका नाम नारी होगा, क्योंकि यह नर में से निकाली गई है।

23. At last!' the man exclaimed. 'This one is bone from my bone, and flesh from my flesh! She will be called 'woman,' because she was taken from 'man.''

24. इस कारण पुरूष अपने माता पिता को छोड़कर अपनी पत्नी से मिला रहेगा और वे एक तन बनें रहेंगे।
मत्ती 19:5, मरकुस 10:7-8, 1 कुरिन्थियों 6:16, इफिसियों 5:31

24. This explains why a man leaves his father and mother and is joined to his wife, and the two are united into one.

25. और आदम और उसकी पत्नी दोनों नंगे थे, पर लजाते न थे।।

25. Now the man and his wife were both naked, but they felt no shame.



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